B.R.I.C.S क्या है?
B.R.I.C.S की स्थापना की पहल 2006 में चार देशों - ब्राज़ील, रूस, भारत तथा चीन द्वारा की गयी थी. इन्ही देशों नाम के पहले अक्षरों के आधार पर इसका B.R.I.C (ब्रिक) नाम रखा गया. बाद में 2010 में दक्षिण अफ्रीका के शामिल हों जाने के बाद इसका वर्तमान नाम B.R.I.C.S (ब्रिक्स) हो गया. B.R.I.C.S अर्थात् Brazil, Russia, India, China तथा South Africa विश्व के ऐसे पांच देशो का संगठन है, जिन्हें विश्व की उभरती हुई आर्थिक शक्तियां की संज्ञा दी जाती है. B.R.I.C.S देशो का पहला शिखर सम्मलेन 2009 में आयोजित किया गया था, लेकिन B.R.I.C.S की शुरुआत 2006 में हुई थी.
ब्रिक्स का विचार सबसे पहले वित्तीय सलाहकार कम्पनी गोल्डमेन सैक (Goldmen Sech) के अर्थशास्त्री जिम ओ नील ने 2003 में दिया था. जिम ओ नील ने ब्रिक का विचार 2003 में प्रकाशित अपनी report "Dreaming with BRICS: The path to 2050" में दिया था. उनके अनुसार चार देशो- Brazil, Russia, India, China की विकास क्षमता इतनी अधिक है कि 2050 तक ये देश विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं होगे. वर्तमान में अमेरिका तथा यूरोपियन संघ की अर्थव्यवस्थाएं विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं है. इस report के अनुसार चीन तथा भारत वस्तुओं तथा सेवाओ के उत्पादन में विश्व के सबसे बड़े निर्माताओं के रूप में उभर रहे है. वही दूसरी ओर रूस व ब्राज़ील विश्व के कच्चे माल के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता के रूप में उभर रहे है.
आज B.R.I.C.S ने अपने अस्तित्व के एक दशक पुरे कर लिए है. ब्रिक्स के पांच सदस्य देशों की कुल जनसँख्या 3.6 बिलियन है, जो विश्व की कुल जनसँख्या का 40% है. इसी प्रकार इन पांच देशों का घरेलू उत्पाद 16.6 ट्रिलियन डॉलर है, जो विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का 22% है. इन आंकड़ों के आधार पर ब्रिक्स देशों की अर्थव्यवस्था व विश्व में उसके महत्व का अनुमान लगाया जा सकता है.
B.R.I.C.S देशों के शिखर सम्मेलनों की सूची
ब्रिक्स देशों का नौवां शिखर सम्मलेन चीन के शहर जियामेन में 3-5 सितम्बर, 2017 को आयोजित किया गया था. इस सम्मलेन में भारत का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया था. इस सम्मलेन में पाँचों देशों के अध्यक्षों ने भाग लिया था तथा आपसी सहयोग से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श किया था. इस शिखर सम्मलेन की मुख्य theme थी-"BRICS: Stronger Partnership for a Brighter Future".
ब्रिक्स (B.R.I.C.S) शिखर
सम्मलेन
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शिखर सम्मलेन
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देश
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स्थान
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समय
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पहला
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रूस
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येकैतारिन्बर्ग
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16 June, 2009
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दूसरा
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ब्राज़ील
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ब्रासिलिया
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16 April, 2010
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तीसरा
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चीन
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सान्या
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14 April, 2011
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चौथा
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भारत
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नई दिल्ली
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29 March, 2012
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पांचवा
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दक्षिण अफ्रीका
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डरबन
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26-27 March, 2013
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छठा
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ब्राज़ील
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फोर्टालेज़ा
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14-17 July, 2014
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सातवा
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रूस
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उफ़ा
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8-9 July, 2015
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आठवा
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भारत
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गोवा
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14-15 October, 2016
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नौवा
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चीन
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जियामेन
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3-5 September, 2017
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दसवां
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दक्षिण अफ्रीका
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प्रस्तावित
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2018
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ब्रिक्स का दसवां शिखर सम्मेलन दक्षिण अफ्रीका में होना अनुमानित है.
B.R.I.C.S (ब्रिक्स) के उद्देश्य (Objectives)
ब्रिक्स का अपना कोई संविधान नही है, लेकिन इसके सम्मेलनों के अंत में जारी घोषणा पत्रों के आधार पर इसके निम्नलिखित उद्देश्य माने जा सकते है:-
- विभिन्न क्षेत्रों में सदस्य देशों के बीच पारस्परिक लाभकारी सहयोग को आगे बढाना, जिससे इन देशों में विकास को गति प्रदान की जा सके.
- एक न्यायपूर्ण तथा समतापूर्ण विश्व व्यवस्था की स्थापना जो किसी एक समूह के प्रभुत्व में न होकर बहुपक्षीय प्रकृति की हो. इसका मन्तव्य पश्चिमी प्रभुत्व वाले वैश्विक व्यवस्था के स्थान पर एक नई बहुपक्षीय व्यवस्था की स्थापना करना है.
- वर्तमान विश्व के प्रमुख मुद्दों जैसे जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, विश्व व्यापार, आणविक ऊर्जा आदि का न्यायोचित समाधान.
- विभिन्न वैश्विक मामलों में निर्णय निर्माण की प्रक्रिया का लोकतंत्रीकरण तथा इस दृष्टि से महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में सुधार, उदाहरण के लिए अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) में कोटा सुधार की मांग.
BRICS की समीक्षा(Analysis)
B.R.I.C.S की उपलब्धियां
शीत युद्ध के बाद में अर्थव्यवस्था के आकार तथा विकास की क्षमता के आधार पर ब्रिक्स, विश्व का एक महत्वपूर्ण संगठन है. पिछले एक दशक में ही इस संगठन ने विश्व में आर्थिक परिदृश्य पर अपना एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है. इसकी दो उपलब्धियां है-
प्रथम- ब्रिक्स ने पश्चिमी पूँजीवादी प्रभुत्व वाली वैश्विक व्यवस्था के स्थान पर एक बहुपक्षीय, खुली व समतापूर्ण विश्वव्यवस्था के लिए निरंतर प्रयास किया है. World Bank के विकल्प के रूप में Development Bank की स्थापना इस दिशा में ठोस कदम है.
दूसरा- ब्रिक्स के देशों ने आर्थिक, तकनीकी, व विकास के क्षेत्र में आपसी सहयोग को पिछले एक दशक में मजबूत किया है.
B.R.I.C.S की कमजोरियाँ
प्रथम- ब्रिक्स देशो की घोषित नीतियाँ तथा उनके वास्तविक व्यवहार में अंतर देखने में आया है. चीन ब्रिक्स के मंच से समेकित व लोकतान्त्रिक व्यवस्था की मांग उठाता है, लेकिन वही दक्षिण चीन सागर में वह अपने पड़ोसियों के ऊपर अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहता है.
दूसरा- ब्रिक्स देशो के बीच आपसी विवाद अत्यंत गहरे है. तथा उनके बीच अघोषित सामरिक प्रतियोगिता भी चल रही है. भारत तथा चीन के बीच सीमा-विवाद सहित अन्य मतभेद जगजाहिर है. इन विवादों व कमजोरियों के कारण ब्रिक्स अपनी क्षमता व प्रयासों के अनुरूप सफलता अर्जित नही कर सका है.