वेब पोर्टल
वेब पोर्टल के संदर्भ मे जाल स्थलों के समूह को कहा जाता है | पोर्टल का शाब्दिक अर्थ होता है प्रवेश द्वार | एक पोर्टल वास्तव में स्वयं भी एकजाल स्थल है | इंटरनेट से जुड़ने पर कई प्रकार के पोर्टल मिलते हैं | इन पर विभिन्न स्त्रोतो से जानकारियां जुटाकर व्यवस्थित रूप में उपलब्ध कराया जाता है इसके साथ ही पोर्टल पर कई तरह की सेवाएं भी दी जाती है , जैसे सर्च इंजन, कम्यूनिटी चैट फ़ोरम, निजी होम पेज और ईमेल की सुविधाए भी दी गई होती हैं |पोर्टल पर समाचार, स्टॉक एक्सचेंज और फ़िल्म आदि की गपशप भी देख सकते हैं | कुछ सार्वजनिक वेब पोर्टल का उदाहरण है : आई गूगल, याहू इत्यादि |
ऐतिहासिक रूप में पोर्टल का प्रयोग किसी द्वार, इमारत या अन्य संरचना के मुख्य द्वार के रूप मे किया जाता था, जिसका शाब्दिक अर्थ था वहां प्रवेश करने के लिए एक प्रभावी मार्ग| मोटे तौर पर वेब पोर्टल उपभोक्ताओं को आधारभूत जानकारी उपलब्ध कराता है | साथ ही इस माध्यम से विभिन्न अन्य साइटस तक पहुंचा जा सकता है | एक विशेष सुविधा है कि एक पोर्टल पर उपभोक्ता अपना स्वयं का कैलेंडर तैयार कर सकते हैं और महत्वपूर्ण अवसर के लिए रिमाइंडर भी बना सकते हैं |उपभोक्ता अपना पोर्टल तैयार कर उसमें अपनी रुचि, कार्य, यात्राओं आदि के बारे में भी पाठ को पृथक - पृथक रूप में डाल सकते हैं | इसी तरह प्रशासन नागरिकों को अपने पोर्टल के माध्यम से मौसम की जानकारी उपलब्ध करा सकता है | साथ ही उसमे वहां की खबरें और शेष सरकारी जानकारी भी हो सकती है | इसमे सरकार के प्रतीक चिन्ह, भाषण, उपभोक्ता सेवाएँ और कर आदि की समस्याएं भी शामिल हो सकती है|
वेब पोर्टल का इतिहास
1990 के दशक के अंतिम वर्षों में वेब पोर्टल काफी प्रचलित हुए थे। वेब ब्राउज़रों के उद्भाव के उपरांत कई कंपनियों ने एक न एक पोर्टल बनवा लिया या बनवाने में प्रयासरत रहे, जिससे कि अपनी कंपनी को तेजी से फैलते हुए इंटरनेट के संसार में अपनी कंपनी को स्थान दिला पायें। ये वेब पोर्टल विशेष आकर्षण का केन्द्र थे, क्योंकि बहुत से इंटरनेट उपयोक्ताओं के लिये ये वेब ब्राउज़र आरंभ करने का बिन्दु हुआ करते थे। नेटस्केप अमेरीका ऑनलाइन का भाग बन गया, वॉल्ट डिज़्ने ने Go.com लॉन्च किया, तथा एक्साइट और @Home आगे चलकर 2000 से कुछ समय पूर्व AT&T का भाग बन गये।
2000-01 के बीच इनमें से कई पोर्टल बंद होने के कगार पर भी पहुंच गये, जैसे डिज़्ने ने Go.com को बाजार से वापस ले लिये था, एक्साइट भी दीवालिया हो गया और उसके अवशेष iWon.com को बेच दिये गए। किन्तु इस दौड़ में याहू आदि जैसे अनेक पोर्टल पूरे रूप से सफल रहे और आज भी इंटरनेट के आसमान पर चमक रहे|
वेब पोर्टल के प्रकार
समाचार पत्रों के वेब पोर्टलटेलिविजन चैनल के वेब पोर्टल
स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाले वेब पोर्टल
समाचार पत्रो के वेब पोर्टल
21 वीं सदी में जहाँ ख़बर की भरमार है वहीं यह होड़ भी लगी है कि, इन ख़बरों को पाठकों तक पहुँचाया कैसे जाये | समाचारपत्रों में ब्रेकिंग और एक्सक्लूसिव ख़बरे चलने का जहाँ अभाव, वहीं इसी कमी को पूरा करने के लिए समाचारपत्रों ने भी एक विकल्प चुन लिया है और वह विकल्प है " वेब पोर्टल" | सामचार पत्रों ने स्वयं के वेब पोर्टल का निर्माण कर दिया है और उन माध्यमों के ज़रिए "एक्सक्लूसिव और ब्रेकिंग न्यूज़" पाठको तक पहुचाने का काम कर रहे हैं | Live hindustan, जनसत्ता. कॉम, आदी समाचार पत्रों के वेब पोर्टल के कुछ उदाहरण प्रमुख हैं |
टीवी चैनल के वेब पोर्टल
टेलिविजन का अस्तित्व मे आना ही अन्य माध्यमों के लिए चुनौती बन गया है|एक्सक्लूसिव और ब्रेकिंग न्यूज का फीचर तो इसमे था ही अब वेब पोर्टल के जरिये न्यूज़ चैनल लोगों के पॉकेट तक पहुंच चुकी है | वेब पोर्टल me मे आज पूरा का पूरा चैनल समाहित हो गया है |
स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाले वेब पोर्टल
केवल समाचारपत्रों एवं टेलिविजन चैनल के के ही नहीं अपितु, वेब पोर्टल स्वतंत्र रूप से भी कार्य करते हैं |स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाले वेब पोर्टल ने भी सूचना और समाचार के क्षेत्र मे अपना नाम दर्ज किया है | स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाले वेब पोर्टल भी सभी तरह के खबर दिखाते हैं |चाहे वो ख़बर खेल से संबंधित हो या मनोरंजन से संबंधित | वेब दुनिया, द वायर हिंदी इत्यादि स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाले वेब पोर्टल के उदाहरण हैं |हम इस परियोजना मे" द वायर हिंदी" का अध्यन करेंगे और साथ ही विश्लेषण भी |द वायर हिंदी
वायर एक समाचार वेबसाइट है, जो फाउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज्म (FIJ) द्वारा प्रकाशित की गई है, जो एक गैर-लाभकारी कंपनी है। [२] [३] इसकी स्थापना २०१५ में संपादकों सिद्धार्थ वरदराजन , सिद्धार्थ भाटिया और एमके वेणु, [४] ने की थी, जिन्होंने शुरुआत में इस साइट को फंड भी किया था। [३] द इंडिपेंडेंट एंड पब्लिक स्पिरिटेड मीडिया फाउंडेशन (IPSMF) ने द वायर को फंडिंग प्रदान की है , [३] [५] और कम से कम वेबसाइट के कुछ लेखों को प्रो-फ्री लिखा गया है। [६] इसने उर्दू भाषा की सामग्री का प्रकाशन भी शुरू कर दिया है।
Livemint.com पर प्रकाशित एक लेख के अनुसार, द वायर का कवरेज मुख्य रूप से "राजनीति, विदेश नीति, राजनीतिक अर्थव्यवस्था, विज्ञान और विकास" के विषयों पर केंद्रित है। [६] संस्थापक संपादक वरदराजन का दावा है कि प्रकाशन "स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए एक मंच" के रूप में बनाया गया था, [६] और इसके गैर-कॉर्पोरेट ढांचे और वित्त पोषण स्रोतों का लक्ष्य "व्यावसायिक और राजनीतिक दबाव" से मुक्त करना है जो मुख्यधारा को प्रभावित करते हैं। भारतीय समाचार आउटलेट।
2016 के अंत में कोलंबिया जर्नलिज्म रिव्यू (CJR) में प्रकाशित एक कहानी ने द वायर को कई स्वतंत्र और हाल ही में स्थापित इंटरनेट-आधारित मीडिया प्लेटफार्मों में से एक के रूप में पहचाना - एक समूह जिसमें Newslaundry ,
Scroll.in , The News Minute , TheQuint.com भी शामिल है । स्कूपव्हूप - जो भारत की पारंपरिक प्रिंट और टेलीविजन समाचार कंपनियों और उनके ऑनलाइन ऑफशूट के प्रभुत्व को चुनौती देने का प्रयास कर रहा था। [7]
2015 में, सिद्धार्थ वरदराजन ने द वायर को शुरू किया, जब उन्होंने द हिंदू में संपादक के रूप में अपने पद से इस्तीफा दे दिया और परिवार चलाने के लिए कागज के संपादकीय की वापसी का हवाला दिया। द वायर का पाया जाना एक राजनीतिक माहौल है, और एक राजनीतिक वातावरण के कारण प्रतिक्रिया हुई है, जिसने वर्तमान भारतीय सत्ताधारी भाजपा पार्टी के खिलाफ असंतोष को हतोत्साहित किया है। [7]
2015 में, सिद्धार्थ वरदराजन ने द वायर को शुरू किया, जब उन्होंने द हिंदू में संपादक के रूप में अपने पद से इस्तीफा दे दिया और परिवार चलाने के लिए कागज के संपादकीय की वापसी का हवाला दिया। द वायर का पाया जाना एक राजनीतिक माहौल है, और एक राजनीतिक वातावरण के कारण प्रतिक्रिया हुई है, जिसने वर्तमान भारतीय सत्ताधारी भाजपा पार्टी के खिलाफ असंतोष को हतोत्साहित किया है। [7]
द वायर हिंदी की रूपरेखा
भारतराजनीति
समाज
विज्ञान
दुनिया
विडियो
जब हम द वायर हिंदी को खोलते हैं तो, पता चलता है कि इसमें विज्ञान, भारत, समाज से जुड़े विषय पर लेख लिखता है |जबकि मनोरंजन, क्रिकेट से संबंधित लेख नहीं लिखता| इस वेब पोर्टल पर सबसे पहले बहुत सारे ऑप्शंस दिखेंगे फ़िर उन्हें क्लिक कर लेख पढा जा सकता है | द वायर हिंदी मे समसामयिक मुद्दों पर भी चर्चा होती है |कैटेगरी सिलेक्ट कर नया पेज ओपन किया जा सकता है |द वायर हिंदी का खबरों का विश्लेषण उसके विषय के कैटेगरी में होती है | ये वेब पोर्टल कम जगह मे सारे सामचार को समाहित कर सकता है |
भाषा
द वायर हिंदी की भाषा बेहद आसान, सटीक एवं आम बोलचाल वाली भाषा है |कही कही अंग्रेज़ी के शब्दों के शब्दों का प्रयोग भी देखने को मिलता है | भाषा सरल होने के बावजूद लोगों को समझने मे दिक्कतें हुई हैं |खास स्थान पर टेक्निकल शब्दों का भी इस्तेमाल है |भाषा मे हिंग्लिश का पुट देने कि कोशिश की गयी है |
मुख्य आकर्षण
द वायर हिंदी का मुख्य आकर्षण उसका लोगो हैँ, जिसमे काले और लाल रंग से लिखा हुआ है | और साथ ही साथ केवल गम्भीर मुद्दों को टारगेट करना भी " द वायर हिंदी" का मुख्य अाकर्षण का एक पैमान है |लाल रंग का इस्तेमाल बहुतायत रूप से होता है | रंग के लाल होना ही इसकी गंभीरता की पहचान है |
द वायर हिंदी की विशेषताएं
वेब पोर्टल केवल गम्भीर मुद्दों पर ही ख़बर प्रस्तुत करता है
अनचाहे शब्दों का प्रयोग ज्यादा नहीं करता
ज्यादा विषयों पर चर्चा नही
सरल सुबोध भाषा का प्रयोग
समसामयिक मुद्दों पर भी विचार कर रही है प्रस्तुत
द वायर हिंदी की खामिया
केवल गम्भीर मुद्दों पर चर्चा करने से मनोरंजन का पुट नहीं है
बहुत अधिक मात्रा में विज्ञापन का समावेश
चटक रंगो का प्रयोग
भाषा का बोरियत वाला होना
निष्कर्ष
सूचना क्रांति के इस युग में सब कुछ डिजिटल हो गया है| जहाँ लोग पहले टीवी या समाचारपत्रों पर निर्भर रहते थे, वो आज केवल फ़ोन मे ही वेब पोर्टल के ज़रिए ही सामचार को अपने आस पास सुन, पढ़ और देख पा रहे हैं |वेब पोर्टल ने बहुत हद तक टीवी और पत्रिकाओं की जगह ले ली है |अब लोग रुक कर एक जगह पर बैठ कर टीवी देखने की बजाय फ़ोन मे ही सारी ख़बरों को पढ़ लेते हैं | ये टीवी और अन्य माध्यमों के मुकाबले ज्यादा सुलभ और सस्ता है | सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्रांति आ गयी है | वेब पोर्टल सामचार पत्रों और टीवी कि जगह ले रहा है|
Credit -
Roll no.- 2303/18
विषय -
न्यू मीडिया
हिंदी
पत्रकारिता
द्वितीय वर्षप्रोजेक्ट- वेब पोर्टल का विश्लेषण
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