मौलिक अधिकार (भाग - 3, अनुच्छेद 12 से 35 तक)
- भारतीय संविधान के भाग 3 के अंतर्गत अनुच्छेद 12 से 35 तक मौलिक अधिकारों का उल्लेख है.
- जब संविधान का संपादन किया गया, उस समय मूल अधिकारों की संख्या 7 थी. लेकिन 44वें संविधान संशोधन, 1976 के द्वारा संपत्ति के मौलिक अधिकार को समाप्त करके इस अधिकार को विधिक अधिकार (कानूनी अधिकार) बना दिया गया. इस प्रकार अब सिर्फ छ: मौलिक अधिकार ही है.
- भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों को निम्नलिखित छ: प्रकार के मौलिक अधिकार प्राप्त है:-
Right to equality (समता का अधिकार)
- अनुच्छेद 14: विधि के समक्ष समता का अधिकार
- अनुच्छेद 15: धर्म, नस्ल,जाति, लिंग, या जन्म-स्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध
- अनुच्छेद 16: लोक नियोजन के विषय में अवसर की समानता
- अनुच्छेद 17: अस्पृश्यता (छुआछूत) का अंत
- अनुच्छेद 18: उपाधियों का अंत
Right to freedom (स्वतंत्रता का अधिकार)
- अनुच्छेद 19: संविधान के अनुच्छेद 19 में छ: प्रकार की स्वतंत्रता का अधिकार है:-
- बोलने की स्वतंत्रता,
- शांतिपूर्ण बिना हथियारों के एकत्रित होने और सभा करने की स्वतंत्रता,
- संघ बनाने की स्वतंत्रता,
- देश के किसी भी क्षेत्र में आवागमन की स्वतंत्रता,
- देश के किसी भी क्षेत्र में निवास करने और बसने की स्वतंत्रता,
- संपत्ति का अधिकार
- अनुच्छेद 20: अपराधों के लिए दोष-सिद्धि के सम्बन्ध में संरक्षण
- अनुच्छेद 21: प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण
- अनुच्छेद 21 (क): राज्य 6 से 14 वर्ष की आयु के समस्त बच्चों को इस ढंग से राज्य विधि द्वारा अवधारित करें कि वह सभी बच्चों को नि:शुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध करायगा. (86वां संशोधन - 2002 के द्वारा).
- अनुच्छेद 22: कुछ दशाओं में गिरफ़्तारी और निरोध में संरक्षण
Right against exploitation (शोषण के विरुद्ध अधिकार)
- अनुच्छेद 23: मानव के व्यापर अर्थात् मानव तस्करी और बालक श्रम का प्रतिषेध या रोक
- अनुच्छेद 24: बालकों के नियोजन का प्रतिषेध
Right to freedom of religion (धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार)
- अनुच्छेद 25: अंत:करण की और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता
- अनुच्छेद 26: धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता
- अनुच्छेद 27: राज्य किसी भी व्यक्ति को ऐसे कर देने के लिए बाध्य नही कर सकता है, जिसकी आय किसी विशेष धर्म अथवा धार्मिक संप्रदाय की उन्नति या पोषण में व्यय करने के लिए विशेष रूप से निश्चित कर दी गयी है.
- अनुच्छेद 28: राज्य-विधि से पूर्णत: पोषित किसी शिक्षा संस्था में कोई धार्मिक शिक्षा नही दी जायगी
Cultural and Educational rights (संस्कृति एवं शिक्षा सम्बन्धी अधिकार)
- अनुच्छेद 29: अल्पसंख्यक वर्गों के हितो का संरक्षण
- अनुच्छेद' 30: शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार
Right to constitutional remedies (संवैधानिक उपचारों का अधिकार)
- अनुच्छेद 32: इसके अंतर्गत मौलिक अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए समुचित कार्रवाईयों द्वारा उच्चतम न्यायालय में आवेदन करने का अधिकार प्रदान किया गया है. इस सन्दर्भ में सर्वोच्च न्यायालय को पांच तरह के रिट (writ) जारी करने की शक्ति प्रदान की गयी है. ये writ निम्नलिखित है-
- बंदी प्रत्यक्षीकरण
- परमादेश
- प्रतिषेध-लेख
- उत्प्रेषण
- अधिकार पृच्छा-लेख.
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