Forensic Audit क्या है?

  • एक फॉरेंसिक ऑडिट किसी फर्म या व्यक्तिगत वित्तीय जानकारी का एक ऐसा मूल्यांकन है जिसका प्रयोग अदालत में साक्ष्य के रूप में किया जाता है. 
  • धोकाधड़ी, गड़बड़ी या अन्य वित्तीय दावों के लिए पार्टी पर मुकदमा चलाने के लिए एक फॉरेंसिक ऑडिट आयोजित किया जा सकता है. 
  • फॉरेंसिक ऑडिट, जांच प्रक्रिया का ही एक हिस्सा है जिसमे कंपनी के वित्तीय विवरण की जांच के दौरान अपनाये जाने वाले तौर-तरीको का ही इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन फॉरेंसिक ऑडिट में किसी कंपनी के वित्तीय विवरण की जांच या मूल्यांकन के लिए एक निश्चित अवधि के दौरान हुए सभी लेन-देनों की जानकारी जुटाई जाती है.Also read: (बिटकॉइन क्या है?)Bitcoin: A virtual Currency explanation and how does it work in Hindi

आवश्यक क्यों है?

  • SEBI (Securities and Exchange Board of India) द्वारा हाल ही में 300 से अधिक संदिग्ध एवं फर्जी कंपनियों के खिलाफ प्रतिबन्ध लगा दिया था.
  • मौजूदा समय में स्टॉक एक्सचेंज कंपनी मामलों के मंत्रालय द्वारा मुहैया कराई गयी संदिग्ध कंपनियां की सूची में से कम-से-कम 90 की फॉरेंसिक जांच करने के लिए फॉरेंसिक विशेषज्ञों की नियुक्ति प्रक्रिया में है.
  • ज्ञात हो कि SEBI ने सभी कंपनियों की दैनिक कारोबार से प्रतिबंधित कर दिया था. हालाँकि, कुछ कंपनियां SAT (Securities Appellate Tribunal) से आंशिक तौर पर राहत पाने में कामयाब हो गयी थी.
  • इन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई नोटबंदी के दौरान उनके व्यापर में देखी गयी संदिग्ध तेजी के बाद की गयी थी, जबकि कई कंपनियों को नियामकीय और आयकर नियमों के उल्लंघन में लिप्त पाए जाने के बाद कार्रवाई का सामना करना पड़ा है.

प्रभाव

  • फॉरेंसिक ऑडिट का अधिकार मिलने के बाद संदिग्ध कंपनियों पर लगाम लगाने के लिए एक्सचेंज अब सम्बंधित कंपनी को ऑडिट प्रमाण पत्र सौपने का निर्देश दे सकता है.
  • साथ ही कम्पनी से तीन साल के सालाना Income Tax Return और लंबित कर विवादों के बारे में भी सूचनाये मांग सकता है.
  • एक्सचेंज ऐसी किसी संदिग्ध कम्पनी के बिज़नस मॉडल की समीक्षा भी कर सकेंगे. 

SEBI ने स्टॉक एक्सचेंजों को संदिग्ध सूचीबद्ध कंपनियों के खिलाफ फॉरेंसिक जांच करने के लिए अधिकृत कर दिया है. इन संदिग्ध कंपनियों का इस्तेमाल शेयर बाज़ार में अवैध फण्ड के प्रवाह के लिए एक माध्यम के तौर पर किया जाता रहा है. इस सम्बन्ध में स्टॉक एक्सचेंजों को सूचित कर दिया गया है कि वे ऐसी कंपनियों के खिलाफ स्वत: संज्ञान ले सकते है. इससे पहले एक्सचेंजों के पास स्वयं फॉरेंसिक ऑडिट करने का अधिकार नही था.

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