G.S.T (वस्तु एवं सेवा कर)

  •  GST एक अप्रत्यक्ष कर है, जो देशभर में वस्तुवो और सेवाओं की आपूर्ति पर विनिर्माता से उपभोगताओं तक एकल कर होगा जिससे पूरा देश एक एकीकृत साझा व्यापर में परिवर्तित हो सकेगा.
  • उत्पादन के प्रत्येक चरण में भुगतान किये गए इनपुट करों का लाभ मूल्य संवर्द्धन के बाद के चरण में उपलब्ध होगा. इस प्रकार उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर केवल “वैल्यू एडिसन” पर ही यह कर देना होगा.
  • GST के लागू होने से केंद्रीय करों में से केंद्रीय उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, सेवा कर, एडिशनल कस्टम ड्यूटी, विशेष और अतिरिक्त कस्टम ड्यूटी तथा वस्तुओं व सेवाओं पर लगने वाले सारे सरचार्ज व सैस जहा समाप्त हो चुके है, वही राज्यों, के करों में VAT, मनोरंजन कर, बिक्री कर, खरीद कर, विलासिता कर, लोटर, सट्टे व जुए पर लगने वाले का तथा सरचार्ज व सेस इसमें समाहित हो गए है. इस प्रकार केंद्र, राज्यों व स्थानीय निकायों द्वारा लिए जाने वाले विभिन्न अप्रत्यक्ष करों के स्थान पर एकीकृत GST ही वसूला जा रहा है.
  • कुछ समय बाद वस्तुओ के मूल्य इससे कम होंगे, जिसका सीधा लाभ उपभोगताओं को होगा. सेवाओं के मूल्यों में कुछ वृद्धि इससे होगी.
  • वस्तुओं व सेवाओं की लागत कम होने से भारत के निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा.
  • GST की संरचना दोहरी किस्म की है. केंद्र सरकार द्वारा लगाया व वसूला जाने वाला कर CGST तथा राज्यों की सरकारों लगाया व वसूला जाने वाला कर SGST कहा जायगा.
  • GST के प्रत्येक निर्णय के लिए एक GST परिषद् (GST council) का गठन किया गया है. इस GST परिषद् में केंद्र व राज्य दोनों का प्रतिनिधित्व की व्यवस्था की गयी है. इसका अध्यक्ष केंद्रीय वित्त मंत्री होंगे.
  • केंद्र व राज्य सरकारों दोनों को ही GST के सम्बन्ध में कानून बनाने का अधिकार होगा. 
  • GST के परिणामस्वरूप अगर राज्यों को हानि होती है, तो इसकी भरपाई केंद्र 5 वर्षों तक राज्यों को करेगा.




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