Important Financial Terminologies (आर्थिक शब्दावलियाँ)



Repo Rate (रेपो दर):-  अल्पकालिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु जिस ब्याज दर पर वाणिज्यिक बैंक (commercial bank) रिज़र्व बैंक (Reserve Bank) से नकदी ऋण प्राप्त करते है, ‘रेपो दर’ कहलाता है.

Bank Rate (बैंक दर):-  जिस सामान्य ब्याज दर पर Reserve Bank द्वारा commercial bank को पैसा उधार दिया जाता है, बैंक दर कहलाता है. इसके माध्यम से Reserve Bank द्वारा साख नियंत्रण/क्रेडिट conrtol किया जाता है.

Reverse Repo Rate (रिवर्स रेपो दर):-  बैंकों द्वारा अपनी अतिरिक्त राशि को Reserve Bank में जमा करने पर रिवर्स रेपो दर से ब्याज मिलता है.

Cash Reserve Ratio (नकद आरक्षित अनुपात):-  C.R.R (Cash Reserve Ratio) किसी Commercial Bank में कुल जमा राशि का वह भाग है जिसे Reserve Bank के पास अनिवार्य रूप से जमा करना पड़ता है. इसकी दर जितनी ऊँची होती है बैंकों की साख सृजन क्षमता उतनी ही कम होती है.

Statutory liquidity ratio (वैधानिक तरलता अनुपात):-  किसी वाणिज्यिक bank में कुल जमा राशि का वह भाग जो नकद स्वर्ण व विदेशी मुद्रा के रूप में उसे अपने पास अनिवार्य रूप से रखना पड़ता है, ‘वैधानिक तरलता अनुपात’ (Statutory Liquidity Ratio) कहलाता है. बैंकों को वित्तीय संकट का सामना करने हेतु Reserve Bank द्वारा ऐसी व्यवस्था की गयी है.

buffer stock (बफर स्टॉक):- आपातकालीन स्थिति में किसी वस्तु की कमी, को पूरा करने के लिए वस्तु का तैयार स्टॉक बफर स्टॉक कहलाता है.


IFSC Code:- यह ‘इंडियन फाइनेंसियल सिस्टम कोड’ (Indian Financial System Code) है. जो सामान्यत: 11 अंको का होता है. इसमें पहले के 4 अक्षर में bank का नाम, एक शून्य तथा अंतिम 6 अंकों में bank branch से सम्बंधित विवरण होता है.

demonetization (विमुद्रीकरण):- जब काला धन अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बन जाता है, तो इसे दूर करने के लिए विमुद्रीकरण की विधि अपने जाती है. इसके अंतर्गत सरकार पुरानी मुद्रा को समाप्त कर देती है और नई मुद्रा चालू कर देती है. इस प्रक्रिया में जिनके पास कला धन होता है, वह उसके बदले में नई मुद्रा लेने का साहस नही जूता पाते है और काला धन स्वयं ही नष्ट हो जाता है.

Devaluation of currency (मुद्रा का अवमूल्यन):- इसमें किसी मुद्रा का विनिमय मूल्य अन्य मुद्राओं की तुलना में जानबूझकर कम कर दिया जाता है. ऐसा  सरकारे देश में निर्यात को बढावा देने के लिए करती है.


Monetary contraction (मुद्रा का संकुचन):-  जब बाजार में मुद्रा की कमी के कारण कीमते गिर जाती है, उत्पादन व व्यापर गिर जाता है और बेरोजगारी बढती है, वह अवस्था मुद्रा संकुचन कहलाती है.


Inflation (मुद्रास्फीति):-  अर्थव्यवस्था में जब मुद्रा की आपूर्ति बढ़ जाती है तो वह वस्तुओं की मांग को बढ़ा देती है. लेकिन संसाधन सीमित एवं पूर्ण रूप से रोजगारयुक्त होने के कारण वस्तुओं की पूर्ति मुद्रा की पूर्ति के अनुपात में नही बढ़ पति, परिणामस्वरूप वस्तुओं की कीमते बढ़ जाती है. दूसरे शब्दों में, मुद्रा प्रसार या मुद्रा स्फीति वह अवस्था है, जिससे मुद्रा का मूल्य गिर जाता है और कीमते बढ़ जाती है.

Law of Demand (मांग का नियम):-  अन्य बातों के समान रहने पर वस्तु की कीमत तथा मांग के बीच विपरीत सम्बन्ध होता है अर्थात् वस्तु की कीमत में कमी होने से उसकी मांग बढ़ जायगी तथा इसके विपरीत वस्तु की कीमत में वृद्धि होने उस वस्तु की मांग कम हो जायगी, यही मांग का नियम है.

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