दक्षिण एशिया सैटेलाइट

अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौधोगिकी (Technology) के क्षेत्र में पडोसी देशों के साथ विशेषज्ञता साझा करने की दिशा में भारत द्वारा लॉन्च किया गया 'दक्षिण एशिया सैटेलाइट' अंतरिक्ष तकनिकी के साथ-साथ विदेश नीति के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है.
भारत ने वर्ष 2014 के काठमांडू (नेपाल) सम्मलेन में SAARC सैटेलाइट को लॉन्च करने के बारे में घोषणा की थी.इसकी घोषणा भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा 18वें सार्क सम्मलेन में की गयी थी.

इस सैटेलाइट को दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) के क्षेत्रों के लिए लॉन्च किया गया था. परन्तु पाकिस्तान द्वारा इस सुविधा को नकारने के बाद यह पूर्ण रूप से सार्क के लिए नही रहा.

इस सैटेलाइट के 5 मई, 2017 को लॉन्च किया गया था. इसे GSLV-MK 2 Launch Vehical द्वारा सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्री हरिकोटा से लॉन्च किया गया था. ISRO द्वारा निर्मित किये जाने वाले इस सैटेलाइट का कुल वजन लगभग 2230 kg. है और इसमें 12KU-बैंड के Transponder लगे है. दक्षिण एशियाई सैटेलाइट (GSAT-9) एक Geosynchronous संचार और मौसम विज्ञान संबंधी सैटेलाइट है. इस सैटेलाइट का जीवनकाल लगभग 12 साल से अधिक की अवधि का है. GSAT-9 के नाम से जाने जाना वाला यह सैटेलाइट दूरसंचार तथा प्रसारण अनुप्रयोगों के क्षेत्र में पूर्ण सीमा तक सुविधाएँ उपलब्ध कराने में सक्षम है.

South Asia Satellite launch by ISRO

भारत, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, मालदीव और श्रीलंका आदि देश इस सैटेलाइट द्वारा प्रदान की जाने वाली बहुआयामी सुविधाओं के उपयोगकर्ता है.
SAARC या GSAT-9 एक Geosynchronous संचार और मौसम विज्ञान सैटेलाइट है.

सैटेलाइट के प्रयोग

यह दक्षिण एशियाई देशों के लिए संचार व्यवस्था तथा बाढ़ के समय एक-दूसरे के सहायता प्रदान करने में मदद प्रदान करेगा.

यह सैटेलाइट दक्षिण एशियाई देशों को DTH, VSAT तथा प्राकृतिक आपदा के विषय में बेहतर सूचनाएं प्रदान करने में मदद करेगा.

इसके अलावा यह TV, दूरस्थ- शिक्षा, Telemedicine तथा दूरसंचार सेवाएँ भी उपलब्ध कराएगा.

दक्षिण एशिया सैटेलाइट से  भारत को लाभ

सर्वप्रथम यह भारत की बढती तकनीकी कौशलता का प्रदर्शन करती है.

यह देशों को मौसम संबंधी पूर्वानुमान, Telemedicine, संचार तथा प्रसारण आदि में सुविधा प्रदान करेगा.

चीन की योजना थी कि वह दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र के लिए एक क्लाउड का प्रक्षेपण करेगा, लेकिन भारत ने पहले ही सार्क सैटेलाइट का लॉन्च कर एक बुद्धिमानी भरा कार्य किया है.

भारत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि दक्षिण एशियाई देशों में वह एकमात्र ऐसा देश है जिसने स्वदेश में विकसित Launch Vehical द्वारा स्वतंत्र रूप से सैटेलाइट का प्रक्षेपण किया है.

चंद्रयान मिशन, मंगलयान मिशन तथा दक्षिण-एशिया सैटेलाइट स्वदेशी तकनीक की विकास की क्षमता को रेखांकित करते है.

जिस समय भारत के पडोसी देश अपने अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए चीन से मदद लेने की कोशिश में है तब यह भारत द्वारा सही समय उठाया गया एक सही कदम है.

भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस : विकास, आवश्यकता और चुनौतियाँ

कॉर्पोरेट गवर्नेंस क्या है?-Corporate Governance

साधारण शब्दों में Corporate Governance का संबंध उन तौर तरीकों से है, जिनके माध्यम से Corporate संस्थाएं चलाई जाती है.
Corporate Governance की संरचना कंपनी के बोर्ड (board), प्रबंधको (managers) , शेयरधारको (shareholders) एवं अन्य हितधारकों (stakeholders) सहित कंपनी के विभिन्न हितधारकों के बीच अधिकारो एवं जिम्मेदारियों का बाँटना सुनिश्चित करती है.
Corporate Governance का प्रमुख उद्देश्य संसाधनों का इष्टतम (optimal) उपयोग करने के साथ साथ शेयरधारको (shareholders) की संपत्ति में वृद्धि करना है.



भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस की आवश्यकता- Need of Corporate Governance 

भारत अभी तक अपनी कानूनी एवं विनियामक प्रणालियों तथा प्रवर्तन क्षमताओं का पूरी तरह से विकास नहीं कर पाया है. निजी क्षेत्र की संस्थाएं विकसित देशों के समान सुविकसित नहीं है.

पारदर्शिता (Transparency) और प्रकटीकारण मानदंडो (Disclosure Norms) की कमी के साथ साथ कंपनी के खातों की गलत जानकारी देने की घटनाएं ऐसे मुद्दे है जिनके जल्दी समाधान किये जाने की आवश्यकता है.

बाजार में कंपनियों की बड़ी संख्या को देखते हुए रिपोर्टिंग और जवाबदेही के मानकों में कमजोरी स्पष्ट रूप से दिखाई देती है.
इसलिए उपर लिखे इन का कॉर्पोरेट क्षेत्र के कारकों या कमियों की वजह से भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस की आवश्यकता है.

भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस का विकास-Development of corporate governance in India 

उदारीकरण (Liberalization) और निजीकरण (Privatization) के बाद भारत में अच्छे Corporate Governance हेतु फ्रेमवर्क (framework) तैयार करने के संबंध में सिफारिश करने के लिए A.S.S.O.C.H.A.M, S.E.B.I और C.I.I ने समितियां गठित की थी.

बाद में कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय ने वैश्विक वित्तीय संकट और भारत में बड़ी कंपनियों के असफल होने के मद्देनजर Corporate Governance स्वैच्छिक दिशानिर्देश 2009 निर्धारित किये थे. इनका उद्देश्य पारदर्शित, नैतिक और उत्तरदायी कॉर्पोरेट गवर्नेंस फ्रेमवर्क का निर्माण करना है.

भारत में कंपनियों के विनियम से सम्बंधित प्रमुख क़ानून कंपनी अधिनियम, 2013 है. इसके अतिरिक्त, S.E.B.I अधिनियम, 1992 द्वारा भी कंपनियां विनियमित होती है.

क्या कहता है कंपनी अधिनियम, 2013

पूर्वर्ती कंपनी अधिनियम, 1956 के स्थान पर यह नया कंपनी अधिनियम लागू किया गया है.
इसमें लेखापरीक्षा समिति का गठन करने का प्रावधान किया गया है, जिसमे कम से कम तीन निदेशक सदस्य शामिल होंगे और उनमे स्वतंत्र निदेशकों का बहुमत होगा.

प्रत्येक निदेशक को अधिनियम में विहित प्रक्रिया के अनुसार किसी कंपनी, कॉर्पोरेट निकाय, फर्म तथा पक्षकारों आदि में अपने हितों का खुलासा करना होता है.

इस अधिनियम के अनुसार कतिपय कंपनियों को कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (C.S.R) समिति का गठन करना होता है. इस समिति को कंपनी की C.S.R पहलों की योजना बनाने, सिफारिश करने और निगरानी करने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है.

भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस की चुनौतियाँ व सुधार-Challenges & Improvements

चुनौतियाँ

प्रमुख शेयरधारक अपने हितों को पूरा करने के लिए कंपनी के संसाधनों पर एकाधिकार प्राप्त कर लेते है. बहुमत रखने वाले शेयरधारको (majority shareholders) और अन्य हितधारको के बीच स्पष्ट एजेंसी गैप दिखाई देता है.
पश्चिमी देशों के विपरीत भारत में बोर्डों और स्वतंत्र निदेशकों को सामान्यत शक्तियां प्रदान नहीं की जाति है और वे शेयरधारको की इच्छानुसार निर्णय लिए जा सके.

सुधार की आवशयकता 

स्टॉक एक्सचेंजों का विकास शेयर के स्वामित्व का पंजीकरण की प्रणाली का विकास करने, अल्पसंख्यक शेयरधारकों के हितों की रक्षा करने के लिए क़ानून बनाने, सतर्कता वित्तीय प्रेस का सशक्तिकरण करने तथा लेखापरीक्षा एवं लेखांकन (Audit and Accounting) मानकों में सुधार करने की आवश्यकता है.

विचारधारा के स्तर पर विभिन्न हितधारकों के मन में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के प्रति व्यापक सहनशीलता के खिलाफ स्थाई परिवर्तन लाना होगा.
एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर का अर्थ तथा इससे भारत का क्या फायदा होगा?


एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर क्या है?

'एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर' (Asia Africa Growth Corridor) भारत एवं जापान के बीच आर्थिक सहयोग है. एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर का विचार सर्वप्रथम उस समय सामने आया जब नवम्बर 2016 में भारतीय प्रधानमन्त्री एवं जापानी प्रधानमंत्री द्वारा 'संयुक्त घोषणा पत्र' जारी किया गया.
'एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर' के सम्बन्ध में आगे की प्रगति 25 मई, 2017 को देखने को मिली जब गुजरात में सम्पन्न अफ्रीकी विकास बैंक की बैठक के दौरान भारत द्वारा एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर पर एक विज़न दस्तावेज पेश किया गया.

महारत्न कंपनी: दर्जा प्राप्त करने की शर्ते व कंपनियों की सूची- (Maharatna company: eligibility criteria & companies list)

महारत्न कंपनी का अर्थ

सरकार द्वारा इस टाइटल की स्थापना 2009 में की गयी. जिसका उद्देश्य बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उपक्रमों (C.P.S.E) को अपने कारोबार का विस्तार करने तथा विश्व की बड़ी कंपनी के रूप में उभरने में समर्थ बनाना है.
आज के समय में कोई भी महारत्न फर्म या कंपनी किसी प्रोजेक्ट में अपनी कुल कीमत का 15 प्रतिशत निवेश करने का निर्णय बिना सरकार की अनुमति के ले सकती है.
महारत्न का दर्जा ऐसी कंपनियों को दिया जाता है जो न्यूनतम पब्लिक होल्डिंग के साथ स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हो.

महारत्न कंपनी का दर्जा प्राप्त करने के जरुरी शर्ते- (Eligibility Criteria for Grant of Maharatna)


  • 'नवरत्न' का दर्ज़ा प्राप्त होना चाहिए.
  • S.E.B.I के नियामकों के तहत न्यूनतम निर्धारित सार्वजनिक हिस्सेदारी के साथ भारतीय शेयर बाजार में सूचीबद्ध होना चाहिए.
  • पिछले तीन सालों के दौरान औसत सालाना शुद्ध संपत्ति 15,000रु करोड़ से ज्यादा होनी चाहिए.
  • पिछले तीनस सालो के दौरान औसत सालाना कारोबार 25,000रु करोड़ से ज्यादा होना चाहिए.
  • कर आदायगी के बाद पिछले तीन सालो के दौरान औसत सालाना शुद्ध लाभ 5,000रु  करोड़ से ज्यादा होना चाहिए.
  • वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण उपस्थिति/ अंतर्राष्ट्रीय ऑपरेशन्स होने चाहिए अर्थात् देश के आलावा कंपनी का कारोबार विदेश में भी होना चाहिए.
  • 'महारत्न' का दर्जा प्रदान करने की प्रक्रिया और साथ उनकी समीक्षा 'नवरत्न' का दर्जा प्रदान के लिए प्रचलित प्रक्रिया के सामान ही है.

भारत की प्रमुख महारत्न कंपनियां- (List of Maharatna Companies)

भारत की 8 प्रमुख महारत्न कंपनियां इस प्रकार है (2017 तक)-
  1. Bharat Heavy Electricals Limited
  2. Coal India Limited
  3. GAIL (India) Limited
  4. Indian Oil Corporation Limited
  5. NTPC Limited
  6. Oil & Natural Gas Corporation Limited
  7. Steel Authority of India Limited
  8. Bharat Petroleum Corporation Limited 
पेट्रोलियम क्षेत्र  की कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (B.P.C.L) को 'महारत्न'  का दर्जा सरकार ने सितम्बर 2017 में प्रदान किया है. सार्वजनिक क्षेत्र की यह कंपनी पहले 'नवरत्न' कंपनी थी. महारत्न का दर्जा प्राप्त होने से इसे अब अधिक वित्तीय एवं परिचालन स्वायत्तता प्राप्त होगी तथा 5,000 रु करोड़ तक के निवेश के फैसले यह स्वयं अपने ही स्तर तक कर सकेगी. नवरत्न कंपनियों के लिए यह सीमा 1,000 रु करोड़ की है. B.P.C.L को महारत्न का दर्जा प्राप्त हो जाने से देश में महारत्न कंपनियों की कुल संख्या अब 8 हो गयी है. वहीँ अब नवरत्न कंपनियों की संख्या 16 हो गयी है. 

नवरत्न कंपनी: दर्जा प्राप्त करने की शर्ते व कंपनियों की सूची- (Navratna company: eligibility criteria & companies list)

नवरत्न कंपनी का अर्थ

नवरत्न को मूल रूप से 1997 में सरकार द्वारा लाया गया था. इसमें उन सार्वजनिक कंपनियों को शामिल किया गया जिनमे वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा (competition) करने की क्षमता है. नवरत्न कंपनी का दर्जा देकर इन्हें अधिक स्वायत्तता प्रदान की गयी ताकि बाजार में देश की कम्पनियों को वैश्विक दर्जा प्राप्त हो सके. वर्तमान में 16 कंपनियां (2017 तक) को नवरत्न का  दर्जा प्राप्त है.

नवरत्न कंपनी का दर्जा प्राप्त करने के लिए जरुरी शर्ते- (Eligibility Criteria for Grant of Navratna)

  • किसी कंपनी को नवरत्न का दर्जा प्राप्त करने के लिए उसे पहले मिनीरत्न का दर्जा प्राप्त होना चाहिए. 
  • इसके निदेशक मंडल के चार स्वतंत्र निदेशक होना आवश्यक है. इनके अतिरिक्त 6 विभिन्न मानकों- Networth, Net Profit, Total Manpower Cast, Total Cost of Production, Cast of Services, P.B.D.I.T (Profit Before Depreciation, Interest, and Taxes) व Capital Employed आदि में न्यूनतम 60 स्कोर (100 में से) इसे प्राप्त होना आवश्यक है.

    भारत की प्रमुख नवरत्न कंपनियां- (List of Navratna Companies)

    भारत की 16 प्रमुख नवरत्न कंपनियों की सूची इस प्रकार है (2017 तक)-
    1. ग्रामीण विद्धुतिकरण निगम लिमिटेड (R.E.C)
    2. हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (H.P.C.L)
    3. नेशनल एल्युमीनियम कंपनी (N.A.L.C.O)
    4. महानगर टेलीफ़ोन निगम लिमिटेड (M.T.N.L)
    5. पॉवर फाइनेंस कॉर्पोरेशन (P.F.C)
    6. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (B.E.L)
    7. भारतीय नौवहन निगम (S.C.I)
    8. हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (H.A.L)
    9. ऑइल इंडिया लिमिटेड (O.I.L)
    10. पॉवर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (P.G.C.I.L)
    11. राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (R.I.N.L)
    12. राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (N.M.D.C)
    13. नवेली लिग्नाइट लिमिटेड (N.L.L)
    14. नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (N.B.C.C.L)
    15. इंजीनियरिंग इंडिया लिमिटेड (E.I.L)
    16. कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया (C.O.N.C.O.R).

    मिनीरत्न कंपनी: दर्जा प्राप्त करने की शर्ते व कंपनियों की सूची- (Miniratna company: eligibility criteria & companies list)

    मिनीरत्न कंपनी का अर्थ

    मिनीरत्न की अवधारणा 2002 में शुरू की गयी थी और यह 41 सार्वजनिक कंपनियों को दिया गया था. मिनीरत्न कंपनियों को के साथ संयुक्त उद्यमों में प्रवेश करने की अनुमति है, और वे विदेशी कार्यलय भी खोल सकते है, परन्तु कुछ सीमाओं के अन्दर.
    मिनीरत्न कंपनियों को दो वर्गों में बाटा गया है- वर्ग-1 व वर्ग-2.

    मिनीरत्न वर्ग- 1 

    मिनीरत्न कंपनी वर्ग 1  बनने के लिए कंपनी के पास पिछले तीन वर्षों से निरंतरता लाभ कमाया होना चाहिये तथा तीन साल में एक बार 30 करोड़ का शुद्ध लाभ अर्जित किया जाना चाहिए 

    मिनीरत्न वर्ग-1 में शामिल कंपनियां

    1. Airports Authority of India
    2. Antrix Corporation Limited
    3. Balmer Lawrie & Co. Limited
    4. Bharat Coking Coal Limited
    5. Bharat Dynamics Limited
    6. BEML Limited
    7. Bharat Sanchar Nigam Limited
    8. Bridge & Roof Company (India) Limited
    9. Central Warehousing Corporation
    10. Central Coalfields Limited
    11. Chennai Petroleum Corporation Limited
    12. Cochin Shipyard Limited
    13. Dredging Corporation of India Limited
    14. Kamarajar Port Limited
    15. Garden Reach Shipbuilders & Engineers Limited
    16. Goa Shipyard Limited
    17. Hindustan Copper Limited
    18. HLL Lifecare Limited
    19. Hindustan Newsprint Limited
    20. Hindustan Paper Corporation Limited
    21. Housing & Urban Development Corporation Limited
    22. India Tourism Development Corporation Limited
    23. Indian Rare Earths Limited
    24. Indian Railway Catering & Tourism Corporation Limited
    25. Indian Renewable Energy Development Agency Limited
    26. India Trade Promotion Organisation
    27. IRCON International Limited
    28. KIOCL Limited
    29. Mazagaon Dock Limited
    30. Mahanadi Coalfields Limited
    31. Manganese Ore (India) Limited
    32. Mangalore Refinery & Petrochemical Limited
    33. Mishra Dhatu Nigam Limited
    34. MMTC Limited
    35. MSTC Limited
    36. National Fertilizers Limited
    37. National Seeds Corporation Limited
    38. NHPC Limited
    39. Northern Coalfields Limited
    40. North Eastern Electric Power Corporation Limited
    41. Numaligarh Refinery Limited
    42. ONGC Videsh Limited
    43. Pawan Hans Helicopters Limited
    44. Projects & Development India Limited
    45. Railtel Corporation of India Limited
    46. Rail Vikas Nigam Limited
    47. Rashtriya Chemicals & Fertilizers Limited
    48. RITES Limited
    49. SJVN Limited
    50. Security Printing and Minting Corporation of India Limited
    51. South Eastern Coalfields Limited
    52. State Trading Corporation of India Limited
    53. Telecommunications Consultants India Limited
    54. THDC India Limited
    55. Western Coalfields Limited
    56. WAPCOS Limited
    57. Ed.CIL (India) Limited
    58. HSCC (India) Limited
    59. National Small Industries Corporation Limited 

    मिनीरत्न वर्ग- 2

    कंपनी द्वारा पिछले तीन साल से लगातार लाभ कमाया हो और उसकी नेट वर्थ सकारात्मक होनी चाहिए.

    मिनीरत्न वर्ग-2 में शामिल कंपनियां

      1. Bharat Pumps & Compressors Limited
      2. Broadcast Engineering Consultants (I) Limited
      3. Central Mine Planning & Design Institute Limited
      4. Central Railside Warehouse Company Limited
      5. Engineering Projects (India) Limited
      6. FCI Aravali Gypsum & Minerals India Limited
      7. Ferro Scrap Nigam Limited
      8. HMT (International) Limited
      9. Indian Medicines & Pharmaceuticals Corporation Limited
      10. M E C O N Limited
      11. Mineral Exploration Corporation Limited
      12. National Film Development Corporation Limited
      13. P E C Limited
      14. Rajasthan Electronics & Instruments Limited
      15. Artificial Limbs Manufacturing Corporation of India 


      धरोहर गोद लो योजना क्या है?-(Adopt a Heritage Scheme)

      देश के एतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व के स्मारकों के रखरखाव पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए ''धरोहर गोद लो योजना" (Adopt a Heritage Scheme) का शुभारम्भ पर्यटन मंत्रालय द्वारा किया गया है. अनेक कंपनियां ने स्मारक गोद लेने की योजना में रूचि व्यक्त की. इस दिशा में विभिन्न कंपनियों से प्राप्त कुल 57 प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण कर आतिथ्य यात्रा व बैंकिंग क्षेत्र की सात कंपनियों को 'स्मारक मित्र' के रूप में पर्यटन मंत्रालय द्वारा चुना गया तथा 14 विभिन्न स्मारकों को 'धरोहर गोद लो योजना' के तहत स्मारक मित्र के लिए आशय पत्र (Letters of Intent) पर्यटन मंत्रालय द्वारा जारी किये गये. इन्हें यह आशय पत्र 25 अक्टूबर, 2017 को केंद्र सरकार के पर्यटन पर्व के अंतिम दिन प्रदान किये गए.

      गोद लेने के लिए चयनित कंपनियों की सूची-(List of selected companies) 


      गोद लेने के लिए चयनित 7 कंपनियों व उन्हें गोद दिए गये स्मारकों के नाम निम्नलिखित है-

      • दिल्ली में स्थित जंतर-मंतर  SBI Foundation को गोद दिया गया.
      • कोणार्क का सूर्य मंदिर, भुवनेश्वर का राजा रानी मंदिर, जयपुर और ओडिशा के रत्नागिरी स्मारक टी इंटरनेशनल लिमिटेड को गोद दिया गया.
      • कर्नाटक के हम्पी, जम्मू-कश्मीर के लेह पैलेस, दिल्ली का कुतुबमीनार, महाराष्ट्र की अजंता गुफा यात्रा ऑनलाइन प्राइवेट लिमिटेड को गोद दिया गया.
      • कोच्चि के मत्तानचेरी पैलेस संग्रहालय और दिल्ली का सफदरजंग मकबरा ट्रेवल कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया को गोद दिया गया.
      •  गंगोत्री मंदिर क्षेत्र और गोमुख तक के मार्ग और जम्मू-कश्मीर के माउंट स्टोककांगरी , लद्दाख एडवेंचर टूर ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया को गोद दिया गया.
      • दिल्ली की अग्रसेन की बावड़ी स्पेशल हॉलीडेज ट्रेवल प्राइवेट लिमिटेड, दिल्ली के रोटरी क्लब को गोद दिया गया.
      • दिल्ली के पुराने किले को N.B.C.C को गोद दिया गया.
      विश्व पर्यटन दिवस (27 सितम्बर, 2017) को राष्ट्रपति ने पर्यटन मंत्रालय की यह 'एक धरोहर गोद ले योजना' का शुभारम्भ किया था इसके बाद पर्यटन मंत्रालय ने निजी, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और कॉर्पोरेट जगत के व्यक्तियों को स्मारक स्थलों को गोद लेने और संरक्षण तथा विकास के माध्यम से स्मारकों और पर्यटन स्थलों को स्थाई बनाने का दायित्व निभाने के लिए आमंत्रित किया था. यह योजना संस्कृति मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सहयोग से पर्यटन मंत्रालय का प्रयास है. इसके जरिये देशभर के स्मारकों, धरोहरों और पर्यटन स्थलों को विकसित कर पर्यटक अनुकूल बनाने के लिए योजनाबद्ध और चरणबद्ध तरीके से पर्यटन सम्भावना तथा सांस्कृतिक महत्व को बढाना है.

      नेट न्यूट्रैलिटी क्या है?

      नेट न्यूट्रैलिटी का अर्थ इन्टरनेट सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों के द्वारा इन्टरनेट  पर उपलब्ध सभी प्रकार के सेवाओं और आंकड़ों को समान दर्ज़ा प्रदान करना है. इसके अंतर्गत बिना किसी भेदभाव के उपभोक्ता इन्टरनेट पर प्रकाशित किसी भी सामग्री और सेवा का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र को प्रभावित नही करेगी.
      नेट न्यूट्रैलिटी यह सुनिश्चित करती है इन्टरनेट एयर प्रयोक्ता के आपसी संबंधों को कोई तीसरा पक्ष प्रभावित नही करेगा.
      हाल के वर्षो में इन्टरनेट को लोगो तक पहुचाने की प्रक्रिया में तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की घटनाएं सामने आई है.

      मौटे तौर पर ऐसा दो तरह से हो रहा है. पहला- कुछ ख़ास इन्टरनेट ठिकानों तक पहुँच को बहुत मुश्किल या खर्चीला बना देना, दूसरा- कुछ ख़ास वेबसाइटों तक पहुँच को बहुत आसान, नि:शुल्क और अधिक सुलभ बना दिया जाना.
      हालांकि, दोनों ही तरह के हस्तक्षेपों की प्रकृति अलग है लेकिन दोनों ही इन्टरनेट की पूरी प्रणाली में निहित समानता तथा खुलेपन के अधिकार पर चोट करते है.
      Net Neutrality and India

      भारत में नेट न्यूट्रैलिटी

      भारत में नेट न्यूट्रैलिटी का मामला 2014 में उभरा जब एयरटेल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोपाल विट्ठल ने कहा कि Skype, Line, Whats app, Hike और इसी तरह के दूसरे मैसेजिंग एप्स को उसी तरह से नियंत्रित किये जाने की जरुरत है, जैसे दूरसंचार कंपनियों को किया जाता है.
      स्वाभाविक रूप से मैसेजिंग एप्स और इन्टरनेट आधारित कंपनियों तथा उपभोक्ताओं ने इसका विरोध किया. इसके बावजूद आगे कम्पनी ने V.O.I.P आधारित सेवाओं के लिए अतिरिक्त शुल्क की बात की. हालांकि इसका काफी विरोध हुआ और इसे नेट न्यूट्रैलिटी के खिलाफ कहा गया. 


      2015 में रिलायंस और फेसबुक ने मिलकर Internet.org या फ्री बेसिक्स के नाम से मुफ्त इन्टरनेट सेवा की शुरुआत की. इसके तहत रिलायंस कम्युनिकेशन के उपभोक्ताओं को एक एप के माध्यम से 38 वेबसाइटों को नि:शुल्क इस्तेमाल करने की सुविधा प्रदान की गयी थी.  
      मीडिया, गैर-सरकारी संगठनो, जन प्रतिनिधि, तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा नेट न्यूट्रैलिटी के उल्लंघन के आधार पर इसका बड़ा विरोध हुआ. क्योकि, यह व्यक्ति के चुनने की स्वतंत्रता को परोक्ष रूप से प्रभावित करता था, इसलिए इसे नेट न्यूट्रैलिटी के खिलाफ माना गया और अंत में T.R.A.I के आदेश के बाद इसे भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया. 

      भारत में इन्टरनेट सभी के लिए जरुरी है इसलिए T.R.A.I ने हाल ही में नेट न्यूट्रैलिटी को जरुरी बताया और इसे लागू रहने की बात कही. आज प्रत्येक नागरिक के लिए इन्टरनेट जरुरी है और इसमें हस्तक्षेप कर इस पर रोक लगाना कई विशेषज्ञों की नजर में सही प्रतीत नही होता है.

      नेट न्यूट्रैलिटी से जुडी चुनौतियाँ

      अभी हाल ही में अमेरिका में F.C.C के मुहर के बाद नेट न्यूट्रैलिटी पर प्रतिबंधित लगा दिया गया, लेकिन एक बड़ा तबका इस चिंता के तहत इसका विरोध कर रहा है कि इससे यूजर्स और छोटी कंपनियों को नुकसान होगा.

      इसका असर कई देशों पर भी देखने को पड़ सकता है, और हो सकता है कि कई देश इसके पीछे चल पड़े और इन्टरनेट पर रोक लगाना शुरू कर दे.

      इन्टरनेट का महंगा होना और इसकी सुलभता की कमी भी लोगो को ऐसे लुभावने प्लान्स की ओर आकर्षित करती है, जिसका फायदा बड़ी कंपनियां उठाना चाहती है.
      अमेरिका में यह कोशिश कामयाब होने का मतलब यही है कि अगले एक दो वर्षों में ही नेट न्यूट्रैलिटी पूरी दुनिया से विदा हो जायगी. इन्टरनेट की मल्टी-लेन सर्विस शुरू हो जाने के बाद ज्यादा स्पीड का कंटेंट, जैसे लाइव टीवी देखने के लिए उपभोक्ता को ज्यादा डाटा पैक भी खरीदने होंगे.

      आज भारत समेत दुनिया के ज्यादातर देशों में नेट न्यूट्रैलिटी लागु है. इन्टरनेट की सुविधा सबको सामान रूप से और सामान कीमत पर उपलब्ध है. यूजर, कंटेंट, साइट, प्लेटफार्म, एप्लीकेशन और संचार के तरीकों के आधार पर कोई भेदभाव नही किया जाता. लेकिन पूरी दुनिया में इन्टरनेट को शेर-बकरी की लड़ाई वाली जगह बनाने की कोशिश जारी है.   

      भारत में अभी भी नेट न्यूट्रैलिटी से सम्बंधित कोई ठोस कानून मौजूद नही है जिससे इसके उल्लंघन को विधिक रूप से चिन्हित कर उसे प्रतिबंधित किया जा सके. लेकिन भारत सरकार तथा T.R.A.I ने साफ़ कहा है कि भारत में इन्टरनेट पर सबका हक़ है और इस पर कोई प्रतिबन्ध नही लगेगा.

      सौभाग्य योजना क्या है?

      प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के सभी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में हर घर तक बिजली सुनिश्चित करने के लिए एक नई योजना "प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना" (Pradhan Mantri Sahaj Bijli Har Ghar Yojna) -'सौभाग्य' का शुभारम्भ किया है.

      योजना के प्रमुख पॉइंट्स


      • इस योजना का उद्देश्य सभी घरों को बिजली प्रदान करना है अर्थात् उन सभी 4 करोड़ परिवारों को बिजली कनेक्शन प्रदान करना जिनके पास वर्तमान में बिजली कनेक्शन नही है. ये कनेक्शन गरीबों को मुफ्त में प्रदान किये जायेंगे.
      • इस योजना की कुल लागत 16,320 रु है. केंद्र सरकार इस योजना के लिये राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को बड़े स्तर पर वित्तीय सहायता प्रदान करेगी.
      • इस योजना के अंतर्गत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 31 दिसम्बर, 2018 तक सभी घरों में बिजली पहुँचाने का कार्य पूर्ण करना होगा.
      • योजना के अंतर्गत नि:शुल्क बिजली कनेक्शन के लिए लाभकर्ता का चयन वर्ष 2011 की सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (S.E.C.C.) द्वारा किया जाएगा.
      • इसके साथ ही S.E.C.C. आंकड़ो के तहत बिना बिजली वाले घरों में भी मात्र 500 रु के भुगतान द्वारा कनेक्शन प्रदान किये जाएँगे. यह राशि बिजली बिल की 10 किस्तों में वापस की जाएगी.
      • दुर्गम उअर दूर-दराज के क्षेत्रों में बिना बिजली वाले घरों में बैटरी बैंक सहित 200 से 300 W.P. वाले सौर ऊर्जा पैक प्रदान किये जाएँगे. इसमें 5 L.E.D. लाइट, 1 DC पंखा और एक DC  पॉवर प्लग सम्मिलित होंगे. इसके साथ ही पांच वर्षो तक मरम्मत और देखभाल भी की जाएगी.
      •  योजना को सरल और तेज़ी से लागू करने के लिये घरों के सर्वेक्षण हेतु मोबाइल एप का प्रयोग किया जाएगा.
      • योजना के अंतर्गत लाभकर्ताओ की पहचान, बिजली कनेक्शन के लिये आवेदन, आवेदक का चित्र और पहचान का प्रमाण हाथों हाथ पंजीकृत किया जाएगा.
      • ग्रमीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत/ सार्वजनिक संस्थान को पूर्ण दस्तावेजो के साथ आवेदन-पत्रों को एकत्र करने, बिल वितरित करने और पंचायती राज संस्थाओं एवं शहरी निकायों के साथ विचार-विमर्श के बाद बिल जमा करने के लिए अधिकृत किया जा सकता है. 
      • Rural Electrification Corporation Limited (REC) देशभर में योजना के संचालन के लिये नोडल एजेंसी होगी.

      Forensic Audit क्या है?

      • एक फॉरेंसिक ऑडिट किसी फर्म या व्यक्तिगत वित्तीय जानकारी का एक ऐसा मूल्यांकन है जिसका प्रयोग अदालत में साक्ष्य के रूप में किया जाता है. 
      • धोकाधड़ी, गड़बड़ी या अन्य वित्तीय दावों के लिए पार्टी पर मुकदमा चलाने के लिए एक फॉरेंसिक ऑडिट आयोजित किया जा सकता है. 
      • फॉरेंसिक ऑडिट, जांच प्रक्रिया का ही एक हिस्सा है जिसमे कंपनी के वित्तीय विवरण की जांच के दौरान अपनाये जाने वाले तौर-तरीको का ही इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन फॉरेंसिक ऑडिट में किसी कंपनी के वित्तीय विवरण की जांच या मूल्यांकन के लिए एक निश्चित अवधि के दौरान हुए सभी लेन-देनों की जानकारी जुटाई जाती है.

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